योग और आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है | आज के समय लोगों को कई तरह के शारीरिक व मानसिक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और इनकी वजह है हमारा बदलता खानपान और जीवनशैली | शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर, जैसे असाध्य रोगों के लिए भी योग न्यूरोपैथी और नेचरापैथी बहुत ही कारगर है | इन पद्धितयों के द्वारा शारीरिक ही नहीं मानसिक रोगों को भी दूर किया जा सकता है |
आज के समय बीमारियों के उपचार में हम कई तरह की दवाइयाँ लेते है जो तुरंत थोड़ी दर्द आदि में राहत तो प्रदान करती है लेकिन इनके कुछ साइड इफेक्ट होते है जो की बाद में दिखाई देते है | इन दवाइयों में कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है जो की शरीर को कई तरह की हानि | आज के इस लेख में हम जानेंगे कुछ ऐसी योग की पद्धतियों के बारे में जिनसे बीमारियों और रोगों को पूरी तरह दूर किया जा सकता है |
इस पद्धति में स्वास्थ्य के लिए लाभकारी तेल में कई तरह की औषधीय गुणों से युक्त जड़ी बूटियों को मिलाया जाता है | इसके बाद व्यक्ति को लिटा दिया जाता है और उसके मस्तिष्क पर तेल की धारा को छोड़ा जाता है | यह तेल की धार जब व्यक्ति के मस्तिष्क पर गिरती है तो यह नसों को आराम पहुँचाती है और इससे अनिद्रा, तनाव और अवसाद से मुक्ति मिलती है |
इस प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति द्वारा भूलने की बीमारी यानि अल्जाइमर्स को भी दूर किया जाता है इसके अलावा जिन लोगो को सरदर्द और तनाव जैसी समस्या है उसमें भी यह बेहद लाभकारी है | इस प्रक्रिया में सर पर आयुर्वेदीय तेल में औषधियां मिलायी जाती है इसके बाद एक चमड़े से बनी टोपी सर पर पहनाई जाती है जो की दोनों और से खुली होती है | इस टोपी में तेल डाला जाता है जो की हल्का गर्म होता है | तेल का कहीं से रिसाव ना हो इसलिए बाहर की और एक पट्टी बांध दी जाती है | तेल को इस टोपी के अंदर 30 से लेकर 50 मिनिट के लिए रखा जाता है | समय का निर्धारण बीमारी की गंभीरता से किया जाता है | शिरोवस्ती पूर्ण होने के बाद गर्म पानी से स्नान कराया जाता है | अच्छे लाभ पाने के लिए इस उपचार का 7 दिन तक प्रयोग किया जाता है | इससे मानसिक रोग तो दूर होते ही है साथ ही इसके उपयोग से बुद्धि भी तेज होती है |
यह पद्धति आज सबसे तेज प्रचलित होने वाली चिकित्सा पद्धतियों में से एक है | फायर कपिंग के फायदे इतने अधिक है की कई बॉलीवुड हस्तियाँ इसका उपयोग अपनी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए करती है | इस पद्धति में एक छोटे से रुई के फुहे में आग लगा कर उसे कुछ देर के लिए एक कांच के कप में रखा जाता है | उसके बाद उस आग को बुझा दिया जाता है और उस गर्म हवा से भरे कांच के कप को स्किन पर रखा जाता है | इससे त्वचा के सेल्स को ऑक्सीजन मिलती है | इस उपचार से आपकी स्किंग ग्लो होती है |
स्वास्थ्य के लिए लाभकारी पोटली स्वेदन एक बहुत ही प्राचीन पद्धति है | पोटली स्वेदन पद्धति उपचार के द्वारा शरीर के वात सम्बन्धी समस्या के कारण उत्पन्न हुए गठिया रोग , ऑस्टियोअर्थराइटिस, जैसे रोगों को दूर किया जा सकता है और इससे जोड़ो में होने वाले दर्द से भी मुक्ति मिलती है | इस प्रक्रिया में एक कॉटन के कपडे में जड़ी बूटियों के कपडे से भर लें | इसके बाद इसे आयुर्वेदीय तेल में गर्म कर इसे शरीर के उन स्थानों पर रखे जहा अक्सर दर्द रहता है इसके लिए इसे खासकर पीठ पर और घुटने पर रखा जाता है | यह प्रक्रिया बेहद लाभकारी है |
आज के समय हर दूसरे व्यक्ति को कमर दर्द से सबंधित समस्या है और इसका सबसे बड़ा कारन है घंटो तक एक ही जगह बैठे रहना, गलत पोस्चर में बैठना, शारीरिक श्रम नहीं करना | ऐसी स्थिति में एक प्राचीन पद्धति है जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है | कटी बस्ती में व्यक्ति को पेट के बल लिटा दिया जाता है इसके बाद उड़द के आटे को गूंदकर उसकी पीठि बना ली जाती है और उससे कमर पर एक सर्कल बना लिया जाता है | इस सर्किल में आयुर्वेदीय औषधियों से युक्त तेल को हल्का गर्म करके डाला जाता है | यह तेल मांसपेशियों के तनाव को दूर कर उन्हें आराम प्रदान करता है | यह औषधीय तेल सूक्ष्म रूप से शरीर में जाकर मांसपेशियों की जकड़न को दूर करता है और मांसपेशियो की सूजन को दूर कर उन्हें आराम पहुंचाता है |
आँखों के स्वास्थ्य के लिए अक्षि तर्पण बहुत ही लाभदायक आयुर्वेदिक उपचार पद्धति है | इस पद्धति से उपचार से आँखों की कमजोरी , आँख आना , लाल आँखे , रतौंधी, कम दिखाई देने जैसी समस्या दूर होती है | इस उपचार के लिए उड़द दाल के आटे की पीठि बना लें और इसे आँखों के चारों और इस तरह लगा ले | अब इसके अंदर औषधियों गुणों से युक्त घी या तेल को डालें | इसमें आपकी आँखे पूरी तरह डूब जाएँगी | इसके बाद इसमें कुछ कुछ मिनिट की अंतराल पर अपनी आँखे खोले और बंद करें | इसे 5 से 10 मिनिट की अवधि के लिए रखें | यह आँखों के लिए बेहद लाभकारी है और इससे आपकी आँखों की रोशनी भी तेज होती है |
आयुर्वेद में बताया गया है की नस्य कर्म विधि द्वारा गर्दन से ऊपर से सबंधित रोगो को दूर किया जा सकता है | इस उपाय को हमेशा किसी विशेषज्ञ की देखरेख में करना चाहिए | नासिका को हमारे मस्तिष्क का प्रवेश द्वार माना जाता है | नस्य कर्म विधि द्वारा औषधीय गुणों से युक्त तेल और घी को बहुत ही सिमित मात्रा में नाक के द्वारा पहुंचाया जाता है | इसके द्वारा नाक में जमा कफ भी बाहर आता है | यह मस्तिष्क के विकारों को दूर करता है और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है |आयुर्वेद की प्राचीन पद्धतिया केवल रोगों को दूर ही नहीं करती है बल्कि यह आपके शरीर की रूप प्रतिरोधक क्षमता को भी बढाती है | हम आशा करते है की आपको यह लेख पसंद आया होगा |
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